यमुना का पानी बढ़ने से पुल के नीचे फँस गए पिल्ले और गाय, लेकिन समय पर पहुँची बचाव टीम ने सबको सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया

दिल्ली हर साल बरसात के मौसम में यमुना नदी की बाढ़ से जूझती है। इस बार भी जुलाई-अगस्त के दौरान पानी का स्तर तेज़ी से बढ़ा और आसपास के इलाकों में पानी भर गया। सबसे ज़्यादा असर मयूर विहार और उसके नज़दीकी क्षेत्रों पर पड़ा। यहाँ पुल के नीचे कई जानवर फँस गए। उनके पास ना तो खाने का साधन था, ना ही निकलने का रास्ता।

पुल के नीचे फँसे जानवर

जब पानी बढ़ा तो सड़क किनारे और खाली जगहों पर भटक रहे कुत्ते, पिल्ले और कुछ गायें सुरक्षित जगह खोजने लगे। लेकिन बाढ़ का पानी चारों तरफ भर गया। ऐसे में मयूर विहार के पुल के नीचे थोड़ी ऊँचाई और छाँव उन्हें सुरक्षित लगी। कई जानवर वहीं रुक गए। शुरुआत में यह जगह ठीक लगी, लेकिन धीरे-धीरे पानी और बढ़ने लगा और बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया।

लोगों की नज़र पड़ी

स्थानीय लोग जब पुल से गुज़र रहे थे, तो उन्होंने देखा कि नीचे जानवर फँसे हुए हैं। कुछ पिल्ले लगातार भौंक रहे थे, जिससे लोगों का ध्यान गया। उन्होंने तुरंत आसपास के एनजीओ और प्रशासन को इसकी जानकारी दी। सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा हुई।

मदद के लिए हाथ बढ़े

खबर मिलते ही कुछ एनजीओ और वॉलंटियर्स पहुँचे। उन्होंने देखा कि पानी लगातार बढ़ रहा है और जानवरों को तुरंत निकालना ज़रूरी है। इसके बाद एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) को बुलाया गया। एनडीआरएफ की टीमें नाव लेकर पहुँचीं और धीरे-धीरे जानवरों को निकालना शुरू किया।

बचाव अभियान

एनडीआरएफ और वॉलंटियर्स ने मिलकर पिल्लों और कुत्तों को नाव में बैठाया और सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया। गायों को निकालना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन रस्सियों और सहयोग से उन्हें भी बाहर लाया गया। जैसे ही जानवरों को बाहर निकाला गया, वॉलंटियर्स ने उन्हें खाना, पानी और आराम के लिए जगह दी।

स्थानीय लोगों का सहयोग

यहाँ के लोगों ने भी बड़ी मदद की। कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर अस्थायी शेड बना दिए ताकि जानवर थोड़ी देर आराम कर सकें। कई लोग खाने-पीने का सामान लेकर आए। बच्चों ने भी इस काम में हिस्सा लिया और पानी से भीगे पिल्लों को कपड़े से पोंछने में मदद की।

सीख और संदेश

यह घटना हमें सिखाती है कि प्राकृतिक आपदा सिर्फ़ इंसानों को नहीं बल्कि जानवरों को भी प्रभावित करती है। अक्सर हम इंसानों की मुश्किलों पर ध्यान देते हैं, लेकिन मूक प्राणी भी उतनी ही परेशानी झेलते हैं। मयूर विहार की इस घटना ने दिखाया कि जब लोग मिलकर काम करते हैं तो किसी की भी जान बचाई जा सकती है।

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