रिपब्लिक डे 2025: राष्ट्रपति मुर्मू की बग्गी से लेकर त्रि-सेवा टेबलॉ तक के 4 बड़े हाइलाइट्स

रिपब्लिक डे 2025: चार ऐतिहासिक क्षण जो बना रहे हैं इस वर्ष का जश्न यादगार!

भारत के गणतंत्र दिवस की परेड हर साल लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित करती है, और इस वर्ष की परेड कुछ और खास रही। 2025 में, गणतंत्र दिवस परेड में कई ऐतिहासिक और यादगार क्षण देखने को मिले। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बग्गी में एंट्री से लेकर पहली बार त्रि-सेवा टेबलॉ के प्रदर्शन तक, इस वर्ष का परेड एकदम अलग और खास था। आइए जानते हैं इन खास क्षणों के बारे में।


1. राष्ट्रपति मुर्मू की बग्गी में एंट्री

इस बार गणतंत्र दिवस परेड में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की शुरुआत पारंपरिक बग्गी में की, जिसे “प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड” द्वारा खींचा गया। यह बग्गी 1984 तक गणतंत्र दिवस समारोहों में इस्तेमाल होती थी, लेकिन उसके बाद यह प्रथा खत्म कर दी गई थी। इसके स्थान पर राष्ट्रपति के लिए काले रंग की लिमोज़िन का इस्तेमाल किया जाने लगा। 2024 में, राष्ट्रपति मुर्मू और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस ऐतिहासिक बग्गी में यात्रा की थी और अब 2025 में यह परंपरा फिर से जीवित हो गई है।

यह बग्गी, जो सोने से सजी हुई है, भारतीय राष्ट्रीय चिह्न से सज्जित है। यह काले रंग की घोड़े द्वारा खींची जाने वाली बग्गी देश की गौरवमयी और शाही परंपरा का प्रतीक है।

2. कुंभ मेला, संस्कृति और प्रकृति का अद्भुत टेबलॉ

गणतंत्र दिवस परेड में हर साल विभिन्न राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए टेबलॉ प्रस्तुत करते हैं। इस वर्ष उत्तर प्रदेश का टेबलॉ विशेष रूप से आकर्षक था, जिसमें कुंभ मेला को प्रदर्शित किया गया। कुंभ मेला, जो हर 12 साल में भारत के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। उत्तर प्रदेश का टेबलॉ कुंभ मेला के इस पर्व में सादगी से समर्पित साधुओं और अमृत की खोज (समुद्र मंथन) को दिखाता है।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश का टेबलॉ भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित करता है। इसमें चीते के संरक्षण पर आधारित एक शानदार दृश्य था, जिसमें मध्य प्रदेश के कूनो वन्यजीव अभ्यारण्य में चीते की पुनर्स्थापना योजना को प्रदर्शित किया गया था। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत वन्यजीवों के संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

आंध्र प्रदेश का टेबलॉ ‘एतिकोप्पाका बम्मलु’ पर आधारित था, जिसमें इको-फ्रेंडली लकड़ी के खिलौने दिखाए गए। यह टेबलॉ पर्यावरण संरक्षण और भारतीय कारीगरी की खूबसूरती को प्रदर्शित करता है।

3. पहला त्रि-सेवा टेबलॉ: ‘शक्तिशाली और सुरक्षित भारत’

इस वर्ष एक और ऐतिहासिक पल था जब पहली बार त्रि-सेवा (Army, Navy, और Air Force) का संयुक्त टेबलॉ प्रस्तुत किया गया। इसका उद्देश्य भारत की सैन्य ताकत और एकजुटता को दर्शाना था। ‘शशक्त और सुरक्षित भारत’ के तहत, इस टेबलॉ में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को प्रदर्शित किया गया। विशेष रूप से, इसमें भारतीय सेना के अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक, तेजस MKII लड़ाकू विमान, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH), और नेवी का प destroyer INS Visakhapatnam को दिखाया गया। यह सभी उपकरण भारत की स्वदेशी सैन्य क्षमता को प्रदर्शित करते हैं, जो अब पूरी दुनिया में अपनी ताकत का लोहा माने जाते हैं।

इस टेबलॉ में एक जॉइंट ऑपरेशंस रूम का भी चित्रण किया गया था, जहां तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर युद्ध की रणनीतियों पर चर्चा करती हैं और एक साथ ऑपरेशंस को अंजाम देती हैं।

4. पहली बार इंडोनेशियाई क़ंटिजेंट का भाग लेना

हर साल गणतंत्र दिवस परदेशी क़ंटिजेंट की परेड में भागीदारी होती है, जो आमतौर पर मुख्य अतिथि के देश से आता है। 2025 में यह सम्मान इंडोनेशिया को प्राप्त हुआ। इंडोनेशिया के 352 सदस्यीय सैन्य क़ंटिजेंट ने भारतीय सड़कों पर अपनी मार्च से भारतीय और इंडोनेशियाई दोस्ती को और भी मजबूत किया। इस क़ंटिजेंट के सदस्य एक शानदार मार्च करते हुए परेड में शामिल हुए, और उनके साथ एक बैंड क़ंटिजेंट भी था, जो भारतीय सैन्य धुनों पर संगीत बजाता हुआ दिखाई दिया।

यह पहली बार था जब इंडोनेशिया का क़ंटिजेंट गणतंत्र दिवस परेड में भाग ले रहा था, और इसने दोनों देशों के बीच सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को और भी मजबूत किया।

निष्कर्ष

2025 का गणतंत्र दिवस परेड निश्चित रूप से भारतीय इतिहास में विशेष स्थान रखेगा। राष्ट्रपति मुर्मू की बग्गी में एंट्री, कुंभ मेला का टेबलॉ, त्रि-सेवा का संयुक्त टेबलॉ, और इंडोनेशियाई क़ंटिजेंट का भाग लेना, सभी ने मिलकर इस साल के परेड को अविस्मरणीय बना दिया। इन ऐतिहासिक घटनाओं ने न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत को दर्शाया, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विविधता और सामरिक सहयोग को भी एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

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