कांतराः चैप्टर 1 — जब जंगल में देवता और इंसान की लड़ाई हो जाए

फिल्म की शुरुआत होती है जंगल की ओर से उठती आवाज़ों के साथ — पत्तों की सरसराहट, धुंध, देवता की मान्यता और गाँव की सांस. जैसे ही स्क्रीन पर शिवा नाम का लड़का आता है, पता चलता है कि ये कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक संस्कृति, एक परंपरा और प्रकृति की लड़ाई की है.

कहानी क्या है?

  • गाँव के जंगल के देवता भूत कोला की पूजा होती है, गहरे विश्वास से। Oneindia Hindi+3AajTak+3Wikipedia+3
  • शिवा, जो गाँव का रहने वाला है, अपनी भावनाओं में उग्र है; उसे लगता है कि जंगल उसकी जमीन है, उसकी पहचान है। AajTak+2Wikipedia+2
  • दूसरी ओर, सरकार का जंगल पर अधिकार जताना चाहती है, जंगल की सीमा तय करना चाहती है। यहाँ संघर्ष शुरू होता है — इंसान बनाम प्रकृति, विश्वास बनाम व्यवस्था। AajTak+2Wikipedia+2

अभिनय और निर्देशन

ऋषभ शेट्टी ने शिवा के रूप में जो जज़्बा दिखाया है, वो सराहनीय है — गुस्सा, प्यार, डर, सब कुछ मौजूद है। AajTak+2Wikipedia+2
साथ ही भूत कोला के दर्शन, जंगल के सीन, देवता की मान्यता — सब कुछ इतनी सच्चाई से दिखाया है कि देखने वाले को लगे कि ये सिर्फ़ फिल्म नहीं, बल्कि कोई पुराना लोक–कथा हो। AajTak+2Wikipedia+2

तकनीकी बातें — संगीत, सिनेमैटोग्राफी, माहौल

  • संगीत (background score) और शोर-शराबा नहीं, बल्कि जंगल, देवता, संघर्ष — सब कुछ बारीकी से जोड़ा गया है। Wikipedia+2AajTak+2
  • दृश्य (वातावरण) — वो पेड़, वो बादल, वो गांव — आप को तुरंत अंदर खींच लेते हैं। Wikipedia+1
  • कहानी का प्रवाह — बीच-बीच में पिछली घटनाएँ, मिथक, लोक मान्यताएँ — सब मिलकर एक ऐसी दुनिया खड़ी कर देते हैं कि आप स्क्रीन से आंखें नहीं हटाना चाहते। Wikipedia+1

क्या-क्या कमियाँ हैं?

हर फ़िल्म की तरह कांतराः में भी कुछ चीज़ें हैं जो पूरी तरह से परफेक्ट नहीं लगीं:

  • हिंदी डबिंग में कुछ भाव-प्रकाश और भाषा का असर खो जाता है। जो स्थानीय भाषा और प्रतीक होते हैं, उनकी गहराई कुछ कम महसूस होती है। AajTak+1
  • कुछ हिस्सों में कहानी थोड़ा धीमी होती है, विशेषकर शुरुआती भाग में जहाँ पर चरित्रों की पहचान कराई जा रही है। Wikipedia+1

क्यों देखें ये फिल्म?

  • अगर आप ऐसी फिल्में पसंद करते हैं जो सिर्फ़ लड़ाई-झगड़ा नहीं, बल्कि एक संस्कृति की आत्मा, जंगल की पुकार और विश्वास की ताकत दिखाती हों, तो कांतराः चैप्टर 1 आपके लिए है।
  • सिनेमाघर में देखने का अनुभव आपको इस फिल्म से कहीं ज़्यादा महसूस होगा — जंगल के सीन, आवाज़-प्रभाव, माहौल — सब बढ़कर होते हैं।
  • और अंत के करीब। वो पल जब कहानी चरम सीमा पर पहुँचती है — वो आपके दिल की धड़कन तेज़ कर देगा।

निष्कर्ष:
कांतराः चैप्टर 1 सिर्फ़ एक ‘दक्षिण की फिल्म’ नहीं है, ये भारत के लोक विश्वासों, प्राकृतिक सौंदर्य और इंसानी जज़्बे की कहानी है। थोड़ी अजीब होगी? हो सकती है। लेकिन यादगार? बिलकुल।

यदि आप मेरी तरह हैं जो फिल्म देखते समय सिर्फ़ मनोरंजन नहीं चाहते बल्कि कुछ सोच-समझ भी चाहिये — तो कांतराः आपके लिए एक ज़रूर देखें मूवी है।

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